“सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव” उन युवाओं की प्रेरक दास्तान है जो सिनेमा को अपनी साँसों की धड़कन मानते हैं। फिल्म कुछ ऐसे जुनूनी युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है जो फिल्में बनाने, देखने और उन पर चर्चा करने में डूबे रहते हैं। उनकी रचनात्मकता, पारिवारिक दबाव, आर्थिक संघर्ष और समाज की उम्मीदों के बीच टकराहट कहानी को गति देती है। यह फिल्म न सिर्फ़ सिनेमा के प्रति प्यार को दर्शाती है, बल्कि दोस्ती और सपनों की कीमत पर भी प्रकाश डालती है।

अभिनय और पात्र:
- कुमार गौरव (एक महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माता): उनका अभिनय इतना प्रामाणिक है कि दर्शक उनके संघर्ष और जुनून से तुरंत जुड़ जाते हैं।
- विनीत सिंह और अंगद बेदी (दोस्त और सहयोगी): इनकी जोड़ी फिल्म में हास्य, ऊर्जा और भावुक पलों का सही मिश्रण पेश करती है।
- तना गुप्ता (समूह की समझदार सदस्य): उनकी शांत और संयमित अदाकारी कहानी को संतुलन देती है।
- राहुल शाहा और शिशिर शर्मा (सहायक किरदार): इनके संक्षिप्त पर प्रभावशाली अभिनय ने कहानी को गहराई दी है।
- मिरेन (अतिथि भूमिका): सिनेमा के प्रति उनका जुनून दर्शकों को झकझोर देता है।
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निर्देशन और दृश्य-शिल्प:
निर्देशक ने छोटे शहर की सादगी और वहाँ के युवाओं के सपनों को बेहद सूक्ष्मता से उकेरा है। पुराने सिनेमा के प्रति नॉस्टैल्जिया और नई तकनीक के प्रयोग के बीच का संतुलन उल्लेखनीय है। सिनेमैटोग्राफी में जीवंत रंग और भावनात्मक फ्रेमिंग दर्शकों को कहानी में डुबो देते हैं, खासकर ग्रामीण परिवेश और शहरी कोलाहल के दृश्य।