मेरे हसबैंड की बीवी: तलाक के बाद की अराजक प्रेम कहानी
कहानी का सार: प्यार, भूलने की बीमारी और एक मुश्किल चुनाव
अंकुर (अर्जुन कपूर) को तलाक के पांच साल बाद अपनी कॉलेज क्रश अंतरा (रकुल प्रीत सिंह) से प्यार हो जाता है। जब वे शादी करने की तैयारी कर रहे होते हैं, तो उनकी पूर्व पत्नी प्रभलीन (भूमि पेडनेकर) एक दुर्घटना के बाद “प्रतिगामी भूलने की बीमारी” (रेट्रोग्रेड एम्नेसिया) के साथ वापस आ जाती है। वह पिछले 5 साल की याददाश्त खो चुकी है और मानती है कि अंकुर अभी भी उसका पति है। अंकुर को अब दोनों महिलाओं के बीच चुनाव करना है।
किरदार और परफॉर्मेंस: अर्जुन कपूर का संघर्ष, भूमि की राक्षसी छवि
- अर्जुन कपूर ने अंकुर के रोल में हास्य और भावुकता का संतुलन बनाया है, लेकिन उनका किरदार सेक्सिस्ट और पारंपरिक दिखता है। वह प्रभलीन के करियर को नजरअंदाज करते हुए उसकी नौकरी छुड़वा देता है, जो दर्शकों को उससे दूर करता है।
- भूमि पेडनेकर एक आक्रामक पंजाबन का रोल निभाती हैं, लेकिन उनका किरदार अधूरा लगता है। तलाक के बाद उनके जीवन को न दिखाना कहानी में खामी है।
- रकुल प्रीत सिंह एक मजबूत और समझदार लड़की की छवि में चमकती हैं, लेकिन उन्हें स्क्रिप्ट में गहराई नहीं मिली।
निर्देशन और स्क्रिप्ट: 90s की फॉर्मूला फिल्म की झलक
मुदस्सर अज़ीज की डायरेक्शन में फिल्म शुरुआत में हास्यपूर्ण नोकझोंक (अर्जुन और हर्ष गुजराल के सीन) के साथ चलती है, लेकिन बाद में यह 90s की पुरानी ट्रॉप्स (दो औरतों की लड़ाई, मूर्खतापूर्ण डॉक्टर किरदार) में फंस जाती है। स्कॉटलैंड के शूटिंग लोकेशन और शादी के उत्सव जैसे दृश्य दिखावटी लगते हैं।
फिल्म के हाइलाइट्स: हर्ष गुजराल का कॉमेडी और भावुक पल
- हर्ष गुजराल (रेहान) फिल्म के सबसे मजेदार पल देते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और अर्जुन को लेकर चुटीले डायलॉग फिल्म को जिंदा रखते हैं।
- डिनो मोरिया (अंतरा के भाई) का शांत और आकर्षक रोल दर्शकों को पसंद आएगा।
कमजोरियां: पुराने ट्रॉप्स और अधूरे किरदार
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है इसकी पूर्वानुमेय कहानी। प्रभलीन के अतीत को सिर्फ फ्लैशबैक में दिखाना और अंकुर के सेक्सिस्ट व्यवहार को बिना किसी गहराई के पेश करना दर्शकों को निराश करता है।
Conclusion
“मेरे हसबैंड की बीवी” एक औसत रोमांटिक कॉमेडी है, जो हंसी-मजाक के कुछ पलों के साथ शुरू होती है, लेकिन पुराने फॉर्मूले और अधूरे किरदारों के कारण यह यादगार नहीं बन पाती। अगर आप अर्जुन कपूर और हर्ष गुजराल का कॉमेडी देखने के लिए थिएटर जा रहे हैं, तो यह फिल्म ठीक-ठाक मनोरंजन दे सकती है।